जगत में स्वारथ का व्यवहार | Jagat Me Swarath Ka Vyavhar Lyrics

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जगत में स्वारथ का व्यवहार,
स्वारथ का व्यवहार जगत में,
स्वारथ का व्यवहार,
पूत कमाई कर धन ल्यावे,माता कर रही प्यार,
पिता कहे ये पूत सपूता,अकलमंद होशियार,
जगत में स्वारथ का व्यवहार (२) ,
नारी सुंदर वस्त्र आभूषण,मांगे बारंबार ,
जो लाकर उसको नही देवे , मुखड़ा लेत बिगाड़,
जगत में स्वारथ का व्यवहार (२) ,
पुत्र भये नारिन के बस में , नित्य करे तकरार,
आप ही अपना माल बटाकर , होते न्यारो नार,
जगत में स्वारथ का व्यवहार (२) ,
भाई बंधु कुटम कबीला , सब मतलब के यार,
ब्रह्मनंद कहे छोड़कर ममता, सुमरो सरजन हार,
जगत में स्वारथ का व्यवहार (२) ,
Jagat Me Swarath Ka Vyavhar Lyrics
Prachin Hindi Bhajan

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